Milestones and Memory
समय भी कैसी अजब सी चीज़ है।
साल दर साल बीतते जा रहे हैं।
एक एक दिन साला हरामी नहीं बीतता।
दिन बीत भी जाए ठीक ठाक
तो शाम में आकर अटक जाता है।
जैसे उसकी सांस सी रुक गयी हो।
रात सारी रात फङफङाती है।
सुबह तक बिस्तर की चादर पूरी तरह बिखर जाती है।
नए दिन से पूछो कि नया क्या है
तो कहता है तूने ऐसा नया किया क्या है।
सालों साल बीत गए।
बरसों पुराने किस्से याद आते हैं।
पर परसों क्या किया याद नहीं आता।
समय भी कैसी अजीब सी चीज़ है।
साल दर साल बीतते जा रहे हैं।
एक एक दिन साला हरामी नहीं बीतता।
दिन बीत भी जाए ठीक ठाक
तो शाम में आकर अटक जाता है।
जैसे उसकी सांस सी रुक गयी हो।
रात सारी रात फङफङाती है।
सुबह तक बिस्तर की चादर पूरी तरह बिखर जाती है।
नए दिन से पूछो कि नया क्या है
तो कहता है तूने ऐसा नया किया क्या है।
सालों साल बीत गए।
बरसों पुराने किस्से याद आते हैं।
पर परसों क्या किया याद नहीं आता।
समय भी कैसी अजीब सी चीज़ है।
1 Comments:
You are so so so good!
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